तुम तन्हाई में मेरी तस्वीर चूमती हो क्या। तन्हाई की रातों में, दर्द की गहराइयों में खो जाता हूँ, धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है…” मेरी बाँहों में बहकने की सज़ा भी सुन ले कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे साथ हैं सब मगर दिल क्यों https://youtu.be/Lug0ffByUck